Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना? जानें सही विधि, मुहूर्त और महत्व
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना? जानें सही विधि, मुहूर्त और महत्व

इस साल चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 9 अप्रैल दिन मंगलवार से हो रहा है. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना करते हैं और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. इसके बिना नवरात्रि के 9 दिनों की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है. यह कलश पहले से लेकर 9वें दिन तक रखा जाता है और दशमी के दिन उसका विसर्जन करते हैं. अब प्रश्न यह है कि नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों करते हैं?
जानते हैं कि नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व क्या है? चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना की विधि और मुहूर्त क्या है?
नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों करते हैं?
सनातन धर्म में कलश को मातृ शक्ति, त्रिदेव, त्रिगुणात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है. उसमें ब्रह्मा, विष्णु, शिव के अतिरिक्त सभी देवी और देवताओं का वास होता है. चैत्र नवरात्रि की पूजा से पूर्व कलश स्थापना करते हैं, इससे ये सभी देवी और देवता उस पूजा और व्रत के साक्षी बन जाते हैं.
कलश स्थापना के समय उनका आह्वान करके उनको स्थान देते हैं, फिर आदिशक्ति मां दुर्गा का आह्वान करते हैं और उनको मूर्ति स्थापना करके पूजा प्रारंभ करते हैं. कलश को तीर्थ का भी प्रतीक मानते हैं. कलश के मुख में विष्णु, कंठ में शिव और मूल में ब्रह्म देव का वास होता है. कलश में भरा जल शीतलता, पवित्रता और स्वच्छता का प्रतीक होता है.
कलश स्थापना विधि
9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना करने के लिए मिट्टी या धातु के कलश का उपयोग करें. उसे माता की चौकी के पास स्थापित करें.
कलश में सप्तमृतिका यानी सात प्रकार की मिट्टी, सप्तधान्य यानी सात प्रकार के अनाज, पंच रत्न, फूल, द्रव्य आदि डालकर उसमें जल भर देते हैं.
उसके बाद उसके ऊपर मिट्टी का एक बर्तन रखते हैं, उसमें चावल भर देते हैं और एक नारियल को चुनरी में लपेटकर कलश के उपर रखते हैं. वह नारियल त्रिगुणात्मक शक्ति महासरस्वती, महाकाली और महालक्ष्मी का प्रतीक होता है. उसके बाद गणेश और गौरी की पूजा करते हैं. फिर मां दुर्गा का आह्वान करते हैं.
कलश स्थापना का मुहूर्त
9 अप्रैल को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 02 मिनट से प्रारंभ है, जो सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. यदि आप किसी कारणवश सुबह में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं. उस दिन का अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है.
कलश स्थापना बाद होगी मां शैलपुत्री की पूजा
कलश स्थापना करने के बाद आप मां शैलपुत्री की पूजा करें. मां शैलपुत्री आदिशक्ति का प्रथम स्वरूप हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद आदिशक्ति ने महाराजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. वे शैलपुत्री के नाम से जानी गईं.