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NASA का वो मिशन जिसमें जाने के बाद कभी लौट नहीं सकी भारत की बेटी Kalpana Chawla

NASA का वो मिशन जिसमें जाने के बाद कभी लौट नहीं सकी भारत की बेटी Kalpana Chawla

विश्व की महिलाएं धरती से आसमान तक अपने हुनर और काबिलियत का परचम लहरा रही हैं। भारत की कल्पना चावला भी ऐसी ही महिला थी जिन्होंने अंतरिक्ष तक अपनी सफल उड़ान भरी थी। कल्पना चावला पहली भारतीय महिला थी जिन्होंने स्पेस में जाकर इतिहास रचा था। वहीं जब 14 जुलाई को भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 3 को लॉन्च किया तो भारत ने नए आयाम भी गढ़ दिए है। अंतरिक्ष में उड़ान भरकर पूरी दुनिया में एक बार फिर भारत ने इतिहास रचा है, जैसे सालों पहले कल्पना चावला ने रचा था।

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। कल्पना चावला हमेशा से ही आत्मविश्वास से भरपूर थी। चार भाई बहनों में सबसे छोटी कल्पना चावला की शुरुआती पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन स्कूल से हुई। इशके बाद उन्होंने 1976 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपना बैचलर्स कोर्स पूरा किया। उस जमाने में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने वाली कल्पना चावला अकेली महिला थी। इसके बाद वर्ष 1982 में अमेरिका चली गई।

अमेरिका में कल्पना ने एयरोनॉटिकल स्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मे एडमिशन लिया और इस डिग्री को हासिल किया। मास्टर्स करने के दौरान ही कल्पना की मुलाकात पियरे हैरिसन से हुई जिनसे उन्होंने वर्ष 1983 में शादी की। इसके बाद वर्ष 1988 में उन्होने एयरो स्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की। इसी वर्ष उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ काम करना भी शुरू किया। वर्ष 1991 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता भी मिल गई। वर्ष 1994 में वो अंतरिक्ष यात्रियों के समूह में शामिल होने में सफल हुई।

नासा में 1996 में स्पेस मिशन के लिए उन्हें विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद कल्पना चावला छह क्रू मेंबर्स के साथ 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुई। इसने अमेरिका की कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। इस अभियान के दौरान वो 15 दिन तक अंतरिक्ष में रही और उनका शटल धरती पर सफलतापूर्वक लौटा। भारतीय मूल की कल्पना चावला पहली महिला यात्री थी। इस मिशन में सफल होने के बाद नासा ने अगले मिशन के लिए भी कल्पना चावला को सिलेक्ट कर लिया। हालांकि ये मिशन ऐसा था जिसमें कई तरह की खामियों को देखना पड़ा। इस मिशन को एक या दो बार नहीं बल्कि कुल 18 बार पोस्टपोन करना पड़ा था।

दो वर्ष बाद भरी उड़ान
इस मिशन को की बार पोस्टपोन करने के बाद यानी दो वर्षों के लंबे अंतराल के बाद स्पेस शटल की खामियों को ठीक किया गया। इस स्पेस शटल ने 16 जनवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल ने फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। ये इस शटल की 28वीं उड़ान थी, जो इसकी अंतिम उड़ान साबित हुई जिसका किसी को अनुमान नहीं था। इस अभियान में कुल सात अंतरिक्ष यात्री सवार थे जिसमें कल्पना चावला भी शामिल थी। मिशन को पूरा करने के बाद जब 1 फरवरी को ये शटल वापस धरती पर लौट रहा था तो शटल दुर्घटनाका शिकार हो गया। अभियान के 15 दिन, 22 घंटे और 20 मिनट पूरे करने के बाद इसकी वापसी का सिर्फ नासा को ही नहीं बल्कि भारतीयों को भी इंतजार था। मगर उसी बीच शटल के यात्रियों को धक्का लगा और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी।

इससे पहले की सभी को कुछ समझ में आता सभी बेहोश हो गए और उनके शरीर का खून उबलने लगा। इस शटल में बाद में ब्लास्ट हो गया मगर सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत इससे पहले ही हो चुकी थी। धरती की कक्षा में आने से पहले ही इस शटल में ब्लास्ट हो गया। इस घटना के बाद नासा ने अंतरिक्ष उड़ानों को दो सालों के लिए निलंबित कर दिया था।

नासा की जांच में सामने आया ये
नासा की जांच में ये सामने आया कि फोम का एक बड़ा टुकड़ा शटल के बाहरी टैंक से टूटकर अलग हो गया था। इस टुकड़े के कारण अंतरिक्ष यान के पंख टूट गए थे। इस कारण वायुमंड की गैस शटल में बहने लगी थी जिसने सेंसरों को खराब कर दिया था। इस कारण ही ये पूरा हादसा हुआ था। बता दें कि भारत सरकार ने भी कल्पना चावला के अंतरिक्ष में दिए गए अभूतपूर्व योगदान को याद करते हुए वर्ष 2003 में घोषणा की थी कि इसरो मौसम संबंधित जो भी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजेपी उनका नाम कल्पना के नाम पर ही रखा जाएगा। वहीं नासा ने कल्पना के सम्मान में सूपर कंप्यूटर और मंगल गृह पर पहाड़ी का नाम भी उनके सम्मान में रखा है।

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