जापान में मुस्लिमों के बढ़ने से क्यों बढ़ रहा है तनाव, दो दशक में 10 गुना हुई मुसलमानों की संख्या
जापान में मुस्लिमों के बढ़ने से क्यों बढ़ रहा है तनाव, दो दशक में 10 गुना हुई मुसलमानों की संख्या

जापान में मुस्लिमों के बढ़ने से क्यों बढ़ रहा है तनाव, दो दशक में 10 गुना हुई मुसलमानों की संख्या
Tension increasing in Japan – जापान में बीते दो दशक से कुछ ज्यादा वक्त में ही मुस्लिम आबादी 10 गुना हो गई है. इससे जापानी नागरिकों में तनाव बढ़ रहा है. इसकी एक वजह ये भी बताई जा रही है कि शिंतो धर्म में कई देवताओं की अवधारणा है. वहीं, इस्लाम में एक ईश्वरवाद है. दोनों धर्मों का ये बड़ा अंतर तनाव को बढ़ा रहा है.
जापान में मुष्लिमों की बढ़ती आबादी के साथ ही शिंता धर्म से अलग दृष्टिकोण और धर्म परिवर्तन तनाव की वजह बन रहा है.
Religious tension in Japan: जापान का धार्मिक परिदृश्य पिछले कुछ समय से तेजी से बदल रहा है. बीते दो दशकों के भीतर जापान में मुसिल्म आबादी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इसी के साथ देश में मस्जिदों की संख्या भी बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2000 तक जापान में मुस्लिमों की आबादी 20,000 के आसपास थी. वहीं, अब ये आबादी बढ़कर 2,00,000 से ज्यादा हो गई है. दूसरे शब्दों में कहें तो बीते दो दशक में जापान में मुसलमानों की तादाद 10 गुना हो गई है. इस सबके साथ देश में धार्मिक तनाव भी बढ़ रहा है.
जापान में पहले मस्जिद मिलना मुश्किल होता था. साल 1999 तक जापान में कुल 15 मस्जिदें थीं. वहीं, मार्च 2021 तक देश में कुल मस्जिदों की संख्या 113 पहुंच गई है. इनमें एक मस्जिद काफी चर्चा में भी रही है. दरअसल, पिछले साल ओसाका के निशिनारी वार्ड में एक कारखाने के ढांचे में मस्जिद बना दी गई. मस्जिद इस्तिकलाल ओसाका को बनाने के लिए दान दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया से आया था. इसके बाद जापान में धार्मिक संघर्ष शुरू हो गया. हालांकि, इससे पहले जापान में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला था.
क्यों बढ़ रहा है सांप्रदायिक तनाव
जापान में मुस्लिम आबादी के तेजी से बढ़ने के लिए मुसलमानों और जापानी नागरिकों के बीच अंतर-धार्मिक विवाह को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. बताया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग जापानी युवाओं से शादी कर उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. इससे जापानियों में गुस्सा बढ़ रहा है. लोगों का मानना है कि इसकी वजह से कभी भी धार्मिक संघर्ष शुरू हो सकता है. हाल में गाम्बिया के एक व्यक्ति ने एक जापानी धर्मस्थल में तोड़फोड़ भी की. उसने एक महिला पर ये कहते हुए हमला कर दिया कि केवल एक भगवान है, जो अल्लाह है. यहां कोई दूसरा भगवान नहीं है. ये पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो वायरल हो गया.
जापान में अंतर-धार्मिक विवाह और धर्म परिवर्तन भी सांप्रदायिक तनाव की वजह बन रहा है.
जापानियों का फूट पड़ा गुस्सा
वीडियो वायरल होने के बाद जापानियों का गुस्सा फूट पड़ा. सोशल मीडिया पर मुस्लिम और इस्लाम विरोधी कमेंट्स की बाढ़ आ गई. एक यूजर ने लिखा, ‘अटूट विश्वासों को बनाए रखना कभी-कभी हमें अपने अंधा कर सकता है. इससे कट्टरतावादी सोच पनपती है. ऐसी सोच हमें दूसरे दृष्टिकोणों को स्वीकार नहीं करने देती है. इससे सांप्रदायिक संघर्ष पैदा हो सकता है. इस्लाम की मान्याताएं और सोच का उदाहरण ये घटना है.’ एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘जापान में धर्म की स्वतंत्रता बुनियादी मानव अधिकार की गारंटी है. यह इस विचार पर आधारित है कि अन्य लोगों के विश्वासों को सम्मान और आजादी मिलेगी. जो लोग दूसरों की मान्यताओं पर हमला करते हैं, वे हमारे मूल्यों को साझा नहीं कर सकते. इसलिए हम एक साथ नहीं रह सकते.’ एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘इस्लाम का लक्ष्य पूरी दुनिया पर कब्जा करना है. इनका नजरिया जापान की सोच के अनुकूल नहीं है.’
शिंतो-इस्लाम में क्या अलग
इस्लाम और शिंतो दो अलग-अलग धार्मिक परंपराएं हैं, जिनके अपने विश्वास व प्रथाएं हैं. दोनों धर्म अपने अनुयायियों को मार्गदर्शन और आध्यात्मिक अर्थ उपलब्ध कराते हैं. दोनों धर्म अपने मूल और विश्वासों में काफी अलग हैं. इस्लाम की उत्पत्ति 7वीं शताब्दी में हुई. यह एक अल्लाह और कुरान की शिक्षाओं में विश्वास पर केंद्रित धर्म के रूप में उभरा. यूसीए न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व एक मुसलमान की समझ से बाहर हो जाता है. दूसरी ओर, शिंतो जापान का धर्म है, जिसकी जड़ें यहां प्राचीन काल से हैं. यह जापानी लोककथाओं, रीति-रिवाजों और जीववादी विश्वासों पर विकसित हुआ है. शिंतो का कोई संस्थापक या आधिकारिक शास्त्र नहीं है. इसमें प्रकृति में मौजूद दिव्य आत्माओं या शक्तियों और जीवन के सभी पहलुओं के प्रति श्रद्धा की विशेषता है. शिंतो के पास सिद्धांतों का व्यापक सेट या विश्वास प्रणाली नहीं है. शिंतो पवित्रता, कृतज्ञता और प्राकृतिक दुनिया के साथ सद्भाव पर जोर देता है.
शिंतो धर्म में जहां 80 लाख देवाओं की अवधारणा है. वहीं, इस्लाम में एक ईश्वर को माना जाता है.
दृष्टिकोण में फर्क बनेगा टकराव की वजह
शिंतो का खास पहलू दूसरे धर्मों को गले लगाने का झुकाव है. शिंतों धर्म में 80 लाख देवताओं को स्वीकार किया गया है. एक सहस्राब्दी से अधिक समय तक शिंतो और बौद्ध धर्म आपस में जुड़े हुए हैं. मंदिरों में जाने वाले जापानी शिंतो कामी और बौद्ध देवताओं दोनों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हें. हालांकि, यह सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व इस्लाम के नजरिये से संभव नहीं है. शिंतो में बहुदेववाद की अवधारणा इस्लाम की एकेश्वरवादी प्रकृति के साथ मेल नहीं खाती है. इस्लामी शिक्षाएं किसी भी अन्य संस्थाओं की पूजा पर सख्ती से रोक लगाती हैं. आस्थाओं का यह संभावित टकराव और अलग-अलग धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोण शिंतो और इस्लाम के बीच संघर्ष पैदा कर सकते हैं.
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