सूरत कोर्ट ने दिया राहुल गांधी को झटका, मानहानि के केस में खारिज की याचिका, जज ने एक शब्द में बोला, डिसमिस्ड
सूरत कोर्ट ने दिया राहुल गांधी को झटका, मानहानि के केस में खारिज की याचिका, जज ने एक शब्द में बोला, डिसमिस्ड

सूरत कोर्ट ने दिया राहुल गांधी को झटका, मानहानि के केस में खारिज की याचिका, जज ने एक शब्द में बोला, डिसमिस्ड सूरत कोर्ट ने मानहानि केस में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा कोर्ट में आए और इस याचिका पर केवल एक शब्द कहा- डिसमिस्ड, यानी खारिज।
__END_OF_PART__IMG_20230420_15473137_gallery.jpeg__END_OF_PART__
दरअसल जज मोगेरा ने इस मामले पर 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब राहुल हाईकोर्ट में अपील करेंगे। यह केस 2019 में बेंगलुरु में चुनावी रैली के दौरान दिए गए राहुल के बयान से जुड़ा है। राहुल ने रैली में कहा था कि हर चोर का सरनेम मोदी क्यों होता है। इस बयान पर गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था। इसी साल 23 मार्च को अदालत ने फैसला सुनाया था। अगले दिन उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अगर जज मोगेरा राहुल की याचिका मान लेते तो उनकी संसद सदस्यता की बहाली का रास्ता खुल जाता।
राहुल गांधी के वकीलों ने दो आवेदन दायर किए थे, एक मामले के निस्तारण तक जमानत के लिए और दूसरा अपील पर फैसला होने तक सजा को निलंबित करने के लिए। कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज करते हुए कोई कारण नहीं बताया। कोर्ट गुरुवार शाम को कारण बताएगी, इस दौरान जज ने कोर्ट में आते ही बस एक शब्द कहा ‘डिसमिस’.।
*राहुल गांधी के वकील ने कहा*
वहीं राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. चीमा ने तर्क दिया कि केवल एक पीड़ित व्यक्ति ही कानून के अनुसार मानहानि की शिकायत कर सकता है, उन्होंने यह भी बताया कि भाषण तब तक मानहानि नहीं हो सकता जब तक कि इसे संदर्भ से बाहर न किया जाए। मानहानि का मामला बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने दायर किया था, जिन्होंने दावा किया था कि राहुल गांधी के बयान ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है। अदालत ने राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत दोषी पाया था। *अभी संसद सदस्य के रूप में बहाल नहीं होंगे राहुल गांधी*
राहुल गांधी ने दावा किया था कि एक सांसद के रूप में उनकी स्थिति के कारण ट्रायल कोर्ट ने उनके साथ कठोर व्यवहार किया है. चीमा ने सूरत की अदालत के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया, यह कहते हुए कि भाषण कोलार में दिया गया था. अदालत ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया. इसका मतलब है कि उन्हें संसद सदस्य के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता. अदालत ने कानून के तहत स्वीकार्य अधिकतम सजा भी लागू की।