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Subhash Chandra Bose Jayanti: कोलकाता मिंट ने की थी नेताजी से जुड़ी ऐसी भूल जिससे देश को मिले सबसे महंगे सिक्के

Subhash Chandra Bose Jayanti: कोलकाता मिंट ने की थी नेताजी से जुड़ी ऐसी भूल जिससे देश को मिले सबसे महंगे सिक्के

नेताजी की जन्‍म शताब्‍दी वर्ष से एक साल पहले जारी हुआ सिक्‍का

जन्मशताब्दी वर्ष 1997 में भारत सरकार की ओर से सिक्का जारी करने का निर्णय लिया गया था लेकिन कोलकाता मिंट ने गलती से यह सिक्का एक वर्ष पहले 1996 में ही जारी कर दिया। यह आजाद भारत में जारी अब तक का सबसे महंगा सिक्‍का है।

। आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस गुमनामी से पहले अंतिम बार धनबाद के गोमो स्टेशन पर देखे गए थे। पठान की वेशभूषा में यहां से अपनी आगे की यात्रा शुरू की। कम से कम धनबाद का हर इंसान इस बात को जानता है। उनसे जुड़े कई चर्चित किस्से लगभग सभी को पता होगा, तो कई बातों से हम आज भी अनभिज्ञ हैं। तो चलिए हम आपको नेता से जी से जुड़े कुछ ऐसे ही अनछुए किससे से रूबरू कराते हैं।

आजाद भारत के सिक्‍कों के इतिहास की एक बड़ी भूल
पांच हजार से अधिक प्राचीन एवं आधुनिक सिक्कों एवं कागजी नोटों के संग्रहकर्ता कुसुम विहार निवासी अमरेंद्र आनंद बताते हैं कि स्वतन्त्र भारत के सिक्कों के इतिहास में एक भयंकर भूल हुई थी। यह भूल नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी हुई है। 23 जनवरी 1897 को जन्मे नेताजी की जन्म शताब्दी वर्ष 1997 में भारत सरकार की ओर से सिक्का जारी करने का निर्णय लिया गया था। कोलकाता मिंट में बड़े स्तर पर सिक्कों का निर्माण किया जाता है। कोलकता मिंट की गलती से यह सिक्का एक वर्ष पहले 1996 में ही जारी कर दिया गया।

कोलकाता मिंट से हुई थी यह भारी भूल
मजेदार बात यह रही कि कोलकाता मिंट ने इस सिक्के को अप्रूव भी कर दिया। अप्रूवल के ठीक बाद इन सिक्कों को सर्कुलेशन के लिए जारी भी कर दिया गया। इसके प्रूफ सेट भी जारी कर दिए गए। जैसे ही भारत सरकार को इस गलती का पता चला तत्काल इन सिक्कों को वापस ले लिया गया। हालांकि तब तक बहुत सारे सिक्के बाजार में आ गए थे। इसी सिक्के को दोबारा 1997 में जो सही जन्म शताब्दी वर्ष था जारी किया गया। 1996 में जारी ये दो रुपये के सिक्के कुछ बाजार में रह गए।

स्‍वतंत्र भारत का सबसे महंगा सिक्‍का
अमरेंद्र कहते हैं कि आज की तारीख में स्वतंत्र भारत में जारी अब तक के सिक्कों में सबसे महंगा माना जाता है। इन सिक्कों को अपनी गैलरी में शामिल करने के लिए पांच हजार से अधिक रुपये खर्च किए। ये सिक्के कुछ गिने चुने सिक्के संग्रहकर्ताओं के पास ही उपलब्ध है। अमरेंद्र आनंद के हेरीटेज गैलरी में ये सिक्के मौजूद हैं। नेताजी की जन्मशताब्दी वर्ष पर जारी किए गए यह दो रुपये के सिक्के एक तरह से धरोहर बन चुके हैं। अमरेंद्र आनंद के आनंद हेरिटेज गैलरी में इसे देखने लोग आते हैं। अमरेंद्र आनंद के पास पांच हजार से अधिक प्राचीन एवं आधुनिक सिक्कों का कलेक्शन है।

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