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क्या होता है ‘बीवर ब्लड मून’, अब 2025 में नजर आएगा पूर्ण चंद्र ग्रहण?

क्या होता है 'बीवर ब्लड मून', अब 2025 में नजर आएगा पूर्ण चंद्र ग्रहण?

नासा के अनुसार, कुल चंद्र ग्रहण औसतन हर डेढ़ साल में एक बार होता है। लेकिन अंतराल भिन्न होता है। मई के मध्य में एक के बाद मंगलवार की घटना इस साल दूसरे ब्लड मून को चिह्नित कर रही।

साल 2022 का अंतिम और दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण समाप्त हो गया। कहीं आंशिक तो कहीं पूर्ण चंद्र ग्रहण का साया नजर आया। सबसे पहले नॉर्थ अमेरिका में नजर आने वाला चंद्रग्रहण पश्चिम और सूर्यास्त के बाद संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में नजर आया। ये बीवर ब्लड मून चंद्रग्रहण का दुर्लभ नजारा इसलिए भी खास माना गया क्यों कि आज के बाद सीधआ 14 मार्च 2025 में नजर आएगा।

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खूनी लाल क्यों?

पूर्णिमा पर चंद्रमा धरती के पास होता है। ग्रहण के दौरान प्रकीर्णन प्रभाव देखने को मिलता है। इसलिए चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। लाल प्रकाश की तंरग दैर्ध्य लंबी होती है। लाली की डिग्री वायुमंडलीय स्थितियों पर निर्भर करती है जो वायु प्रदूषण, धूल भरी आंधी, जंगल की आग के धुएं और यहां तक ​​कि ज्वालामुखी की राख के स्तर के साथ बदलती हैं। पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है लेकिन लाल प्रकाश की तरंग दैर्ध्य लंबी होती है।

कितना दुर्लभ

नासा के अनुसार, कुल चंद्र ग्रहण औसतन हर डेढ़ साल में एक बार होता है। लेकिन अंतराल भिन्न होता है। मई के मध्य में एक के बाद मंगलवार की घटना इस साल दूसरे ब्लड मून को चिह्नित कर रही। जो अगले 14 मार्च, 2025 तक अपेक्षित नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो 14 मार्च 2025 को ‘बीवर ब्लड मून’ दिखेगा।

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कहाँ दिखाई दिया

8 नवंबर का ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और उत्तरी अमेरिका में दिखाई दिया। एशिया और ऑस्ट्रेलिया में स्काईवॉचर्स इसे अपने शाम के चंद्रोदय के साथ दिखा, जबकि उत्तरी अमेरिका में पर्यवेक्षकों के लिए यह चंद्रमा के अस्त होने से पहले होगा। उन क्षेत्रों में जहां भी आसमान साफ ​​​​होगा, यह नग्न आंखों को दिखाई दिया।

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