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विश्व सुनामी जागरूकता दिवस आज, जानें इसे मनाने के पीछे का कारण

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस आज, जानें इसे मनाने के पीछे का कारण

वर्ष 2004 में हिंद महासागर में प्रलयंकारी सुनामी आई थी, जिसने कई देशों में भयंकर तबाही मचाई थी। भारत में भी इस सुनामी का काफी असर देखने को मिला था। इस दिन के बाद समझा गया कि सुनामी जैसी विनाशकारी आपदा को लेकर जागरूकता फैलाई जानी जरूरी है। इसी को देखते हुए हर वर्ष विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का आयोजन पांच नवंबर को हर वर्ष किया जाता है।

ये दिन आम लोगों को सुनामी जैसे घातक आपदा के बारे में जानकारी देने के लिए मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य जागरूकता पैदा करना है क्योंकि जिस भी इलाके में सुनामी आती है वहां सब कुछ तहस नहस हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार ये आपदा काफी घातक है, जो बीते एक सदी में लाखों लोगों की जान लील चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सुनामी शब्द की उत्पत्ति जापान के शब्द से हुई है। यहं सु को बंदरगाह और नामी को लहर माना जाता है। जानकारी के मुताबिक सुनामी तब आती है जब समुद्र के भीतर तीव्र भूकंप के कारण समुद्री प्लेट खिसकती है। इन प्लेटों के खिसकने से समुद्री सतह पर उथल पुथल मचती है। इस उथल पुथल के कारण सागर की लहरों पर पानी की बड़ी और ऊंची लहरें उठती है।

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वर्ष 2015 में मिली मंजूरी

दुनिया में आपदाओं के कारण होने वाले जोखिम को कम करने के लिए काफी कोशिश की गई। उन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पांच नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाए जाने का फैसला किया। इसके बाद वर्ष 2016 में पहली बार विश्व सुनामी दिवस का आयोजन किया गया।

इन दो शब्दों से बना है सुनामी

जानकारी हो कि सुनामी एक जापानी शब्द है जो दो शब्दों को मिलाकर बना है। जापानी शब्द tsu (बंदरगाह) और nami (लहर) से मिलकर बना है। ऐसे में सुनामी का अर्थ हुआ पानी के नीचे भूकंप के कारण पैदा हुई हलचल, जो लहर के तौर पर तबाही ला देती है। जब बार बार समुद्र के नीचे भूकंप या भूस्खलन की घटना होती है और बड़ी लहरें उत्पन्न होती है तो इसे सुनामी कहा जाता है। सागर के पानी में ये भूकंप उथल पुथल मचाता है, जिसका फल सुनामी के तौर पर देखने को मिलता है।

तटीय क्षेत्रों को होता है नुकसान

आमतौर पर सुनामी समुद्र के बीच में आती है। अगर ये सुनामी तटीय इलाकों के आसपास आए तो ये काफी घातक और प्रलयकारी साबित होती है। सुनामी के कारण विकराल रूप में तबाही होती है, जिसका सबसे अधिक नुकसान तटीय क्षेत्रों को होता है। तटीय क्षेत्रों की जनता को सुनामी बुरी तरह से प्रभावित करती है।

वर्ष 2004 में आई थी विकराल तबाही

बता दें कि वर्ष 2004 में हिंद महासागर में भूकंप के कारण विकराल तबाही आई थी। इस सुनामी ने विकराल रूप धारण किया था, जिसका असर एक जगह नहीं बल्कि दुनिया के 15 देशों पर देखा गया था। इस सुनामी ने लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया था। गौरतलब है कि सुनामी तुलनात्मक रूप से प्राकृतिक आपदा का असाधारण प्रकार है। भविष्य में ये कई संभावित खतरों को पैदा कर सकती है।

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